Jaya Ekadashi Vrat Katha 2024: क्यों माना जाता है जया एकादशी को पिशाच योनी से मुक्ति दिलाने वाली तिथि, जानें इसकी कथा

Jaya Ekadashi Vrat Katha 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में कुल 26 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली जया एकादशी। जया एकादशी के दिन विधि-विधना से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

Gaveshna Sharma
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Jaya Ekadashi Ki Vrat Katha Ke Bare Mein: हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में कुल 26 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। इन्हीं में से एक है माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली जया एकादशी। जया एकादशी के दिन विधि-विधना से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जितना महत्व इस एकादशी के दिन श्री हरि की आराधना का है उतना ही लाभ इस एकादशी की व्रत कथा पड़ने का भी मिलता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं जया एकादशी की व्रत कथा के बारे में। 

जया एकादशी की व्रत कथा (Jaya Ekadashi Vrat Katha 2024)

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पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार स्वर्ग के नंदन वन में देवताओं द्वारा उत्सव का आयोज किया गया। इस उत्सव में देवताओं ने सभी ऋषियों को भी आमंत्रित किया। इस उत्सव में गन्धर्वों और गंधर्व कन्याओं द्वारा नृत्य और गायन का कार्यक्रम रखा गया था।

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उत्सव की शुरुआत हुई और गंधर्व एवं गंधर्व कन्याओं ने नृत्य गायन आरंभ किया। अचानक ही पुष्यवती नामक एक नृत्यांगना का ध्यान माल्यवान नामक एक गंधर्व पर पड़ा और वह उस पर मोहित हो गई। इसके बाद दोनों एक दूसरे को निहारने लगे।(श्री लक्ष्मी-गणेश के सामने लौंग का दीपक जलाने के लाभ)

पुष्यवती और माल्यवान एक दूसरे को देखते-देखते इतना खो गए कि उन्हें इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि वह सभी ऋषियों एवं देव गणों के बीच में मौजूद हैं और दोनों मर्यादाएं लांघ कर समीप आ गये। यह देख वहां मौजूद हर कोई असहज हो गया।

इसके बाद इंद्रदेव ने पुष्यवती और माल्यवान को श्राप दिया कि वह पिशाच योनी में भटकेंगे और उन्हें स्वर्ग में अब से कोई स्थान प्राप्त नहीं होगा। इसके बाद दोनों हिमालय की श्रृंखलाओं में मुक्ति की कामना से पिशाच के रूप में भटकने लगे।

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दोनों के बहुत क्षमा मांगने और अपने किये पर पछतावा होने के बाद नारद मुनि ने उन्हें बताया कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु का ध्यान करे। इससे उन्हें पिशाच योनी से मुक्ति मिल जाएगी और हुआ भी वैसा ही। 

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यही कारण है कि जया एकादशी के दिन न सिर्फ पिशाच योनी में भटक रहे आपके परिवार के लोगों को मुक्ति मिल जाती है बल्कि पितरों को भी सुखों की प्राप्ति होती है और वैकुण्ठ धाम में श्री हरि के चरणों में निवास प्राप्त होता है। 

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से जया एकादशी की व्रत कथा और उसके महत्व एवं लाभ के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।  

image credit: herzindagi 

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