Lord Vishnu: भगवान विष्णु ने क्यों किये थे ये 8 भयंकर छल

आज हम आपको भगवान विष्णु द्वारा किये गए उन 8 छलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका जिक्र आज भी ग्रंथों में हैं।   

 
Gaveshna Sharma
bhagwan vishnu ke chhal

Bhagwan Vishnu Ke Chhal: धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु ने अनेकों बार सृष्टि की रक्षा के लिए भिन्न-भिन्न अवतार लिए हैं। भगवान विष्णु को न सिर्फ उनकी लीलाओं के लिए बल्कि उनके छलों के लिए भी जाना जाता है।

इस बारे में हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि भगवान विष्णु द्वारा किये गए ऐसे 8 छल हैं जो आज भी धर्म ग्रंथों में अंकित हैं और इन छलों को करने के पीछे की कथा बेहद रहस्यमयी और रोचक है। आइये जानते हैं उन छलों की कहानी के बारे में।

नारद जी को बनाया बंदर

  • भगवान विष्णु ने एक बार नारद जी (नारद जी ने क्यों दिया था भगवान विष्णु को श्राप)को बंदर बना दिया था। इसके पीछे का कारण यह था कि नारद जी को इस बात का घमंड हो गया था कि वह सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठ चुके हैं औरे उनका यही घमंड तोड़ने के लिए श्री हरि विष्णु ने उन्हें वानर का रूप दे दिया।
  • नारद जी ने भगवान विष्णु से ही उनके जैसा सुंदर स्वरूप मांगते हुए हरि रूप की इच्छा जताई थी। हरि के दो अर्थ होते हैं- विष्णु और वानर। श्री हरि नारायण ने छल कर नारद जी को बंदर का मुख दे दिया। इसके बदले नारद जी ने उन्हें पत्नी वियोग का श्राप दिया जिसके कारण भगवान विष्णु राम रूप में अवतरित हुए।

भगवान शिव के बचाए प्राण

bhagwan vishnu aur bhasmasur

  • एक बार भस्मासुर नाम के एक राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया और वरदान में यह मांगा कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दे दिया। भस्मासुर ने भगवान शिव के शीश पर हाथ रख उन्हें ही भस्म करने की कोशिश की।
  • लेकिन शिव जी वहां से विलुप्त हो गए और भगवान विष्णु के पास सहायता के लिये पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने सुंदर कन्या का रूप धर भस्मासुर को नृत्य के लिए प्रेरित किया और नृत्य मुद्रा के नाम पर उसके हाथ उसके ही शीश पर रखवा दिया जिससे वह खुद ही भस्म हो गया।

देवी वृंदा को छला

  • भगवान शिव का ही अंश जालंधर की पत्नी थीं देवी वृंदा। जालंधर के भय से सृष्टि कांप उठी थी। जालंधर को हरा पाना मुश्किल था क्योंकि देवी वृंदा विष्णु भक्त थीं और पवित्रता के साथ-साथ सतित्व में भी उत्तम थीं। हर बार जालंधर के वध में उनकी शुद्ध और कठोर विष्णु भक्ति आड़े आ जाती थी।
  • जब भगवान विष्णु के पास सभी देवता सहायता के लिए पहुंचे तो उन्होंने जालंधर का भेष धर देवी वृंदा के साथ पत्नी धर्म की पूजा में हिस्सा लिया। पूजा भंग हो गई क्योंकि पति के स्थान पर जालंधर के बजाय भगवान विष्णु थे और जालंधर कि साड़ी शक्तियां क्षीण हो गईं जिसके बाद उसका अंत महादेव ने किया।

असुरों से की अमृत की रक्षा

mohini avtar

  • समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश बाहर आया तब असुरों ने देवताओं से कलश छीन लिया था।
  • तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धर असुरों से अमृत कलश की रक्षा की और देवताओं को अमृत पान कराया था।

शुक्राचार्य को सबक सिखाया

  • जब वामन अवतार में भगवान विष्णु राजा बलि से 3 पग भूमि मांगने गए थे तब शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचान लिया था और उनकी मंशा भी भांप ली थी। जिसके बाद उन्होंने राजा बलि को दान देने से रोकने के लिए चाल चली और कमंडल में जा बैठे।
  • राजा बलि जब जल अर्पित कर दान देने लगे तो कमंडल से जल बाहर नहीं आ पाया। भगवान विष्णु समझ गए कि कमंडल में शुक्राचार्य (कैसे दैत्य गुरु शुक्राचार्य बने ग्रह) बैठे हुए हैं और वह जल को बाहर नहीं आने दे रहे हैं। तब श्री हरि विष्णु ने एक तिनके से उनकी एक आंख फोड़ दी थी। जिसके बाद वह कमंडल से बाहर आ गए थे।

राजा बलि से छीना राजपाट

raja bali aur vaman dev

  • राजा बलि एक असुर थे लेकिन उनकी यह विशेषता थी कि वह दानी, सत्यवादी और धर्मपरायण थे। असुर होने के बाद भी वह विष्णु भक्त थे। धर्म परायणता के साथ ही उन्होंने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमाया था।
  • मगर देवताओं को अपना शासन वापस चाहिए था जिसके लिए उन्होंने भगवान विष्णु की स्तुति कर उनसे अपना राजपाट वापस मांगा। तब भगवान विष्णु ने वामन रूप धर बलि से 3 पग भूमि मांगी और उन 3 पगों में पूरा ब्रह्मांड नाप दिया।

महादेव से छीना बद्री धाम

  • भगवान विष्णु को तपस्या के लिए एक स्थान की आवश्यकता थी। भगवान विष्णु को बद्रीधाम याद आया। जब भगवान विष्णु वहां पहुंचे तब भगवान शिव और माता पार्वती पहले से ही वहां मौजूद थे। महादेव और आदि शक्ति को कुटिया से बाहर बुलाने के लिए भगवान विष्णु ने एक बालक का रूप लिया।
  • भगवान विष्णु कुटिया के बाहर रोने लगे। बच्चे की रोने की आवाज सुन माता पार्वती बाहर आईं और उस बच्चे को अंदर सुलाकर महादेव के साथ नदी के किनारे चली गईं। जब लौटीं तो विष्णु जी तपस्या कर रहे थे। जिसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने बद्रीधाम छोड़ केदार धाम में निवास किया।

मधु-कैटभ का किया संहार

madhu kaitabh vadh

  • मधु और कैटभ नाम के दो दैत्य थे जिन्होंने ब्रह्म देव को मरने का षड्यंत्र रचा था। ब्रह्म देव अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे। ब्रह्म देव ने उन्हें सारा वृतांत बताया और दोनों राक्षसों के वध की बात कही। समस्या ये थी कि दोनों दानवों को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था।
  • लिहाजा भगवान विष्णु ने छल का सहारा लिया और उन दोनों को सम्मोहित कर भगवान विष्णु के हाथों मरना स्वीकार होने की बात को मनवा लिया। जिसके बाद दोनों दैत्यों के तथास्तु बोलते ही भगवान विष्णु ने उनका शीश अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया।

तो ये थे भगवान विष्णु के वो 8 छल। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest, Wikipedia

Disclaimer