आज के समय में जब भी घर डिजाइन किया जाता है तो हर सदस्य की सहूलियत का खास ख्याल रखा जाता है। अमूमन घर में कपल, बच्चों, गेस्ट व पैरेंट्स के लिए अलग से रूम डिजाइन किया जाता है। जब भी किसी रूम को डिजाइन किया जाता है तो उसमें वहां रहने वाले सदस्यों की जरूरतों का खास ख्याल रखा जाता है। लेकिन इसके साथ-साथ वास्तु के कुछ नियमों का भी ख्याल रखा जाना उतना ही जरूरी है। इससे उस व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी ना हो।
मसलन, अगर आप पैरेंट्स के लिए रूम डिजाइन कर रहे हैं तो आपकी यही इच्छा होगी कि पैरेंट्स का उस कमरे में मन लगे। वह स्वस्थ और खुश रहें। हालांकि, कई बार हम पैरेंट्स का रूम डिजाइन करते हुए अनजाने में ही कुछ छोटी-छोटी वास्तु मिसटेक्स कर देते हैं। तो चलिए आज इस लेख में वास्तुशास्त्री डॉ. आनंद भारद्वाज आपको ऐसी ही कुछ मिसटेक्स के बारे में बता रहे हैं-
कमरे में क्लटरिंग होना
जब भी आप पैरेंट्स के रूम को डिजाइन करें तो इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि उनके कमरे में बहुत अधिक क्लटरिंग ना हो। आप वहां पर अपने पैरेंट्स की जरूरत के अनुसार फर्नीचर रख सकते हैं, लेकिन बहुत अधिक फर्नीचर रखने से बचें। ऐसा करने से पैरेंट्स को कमरे में चलने में परेशानी हो सकती है और वे असहज महसूस कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जब भी आप उनके कमरे में फर्नीचर इस्तेमाल करें तो ध्यान दें कि उसके कोने राउंड हो। शॉर्प कोने वाले फर्नीचर वास्तुशास्त्र में बहुत अच्छे नहीं माने जाते हैं।
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दिशा को नजरअंदाज करना
कमरा डिजाइन करने से भी ज्यादा जरूरी होता है उसकी दिशा का ख्याल रखना। अगर पैरेंट्स का कमरा गलत दिशा में बनाया जाता है तो इससे वह अक्सर परेशान रहते हैं या फिर उन्हें नेगेटिव फीलिंग्स आ सकती हैं। कोशिश करें कि पैरेंट्स का कमरा हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाया जाए। अगर आप चाहें तो पैरेंट्स की सुविधा का ध्यान रखते हुए उनके कमरे में अटैच बाथरूमभी बनवा सकते हैं।
बहुत अधिक इलेक्ट्रोनिक आइटम्स इस्तेमाल करना
कोशिश करें कि पैरेंट्स के कमरे में बहुत अधिक इलेक्ट्रोनिक आइटम्स का इस्तेमाल ना किया जाए। दरअसल, इलेक्ट्रोनिक आइटम्स से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती है, जो उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं। हालांकि, आप उनके कमरे में एक टीवी लगवा सकती है, लेकिन वह टीवी उनके बेड से कम से कम चार से पांच फुट दूर होना चाहिए। जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के कारण उन पर कोई नेगेटिव असर ना हो।
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खिड़की को नजरअंदाज करना
यूं तो घर में सही तरह से वेंटिलेशन के लिए खिड़की का इस्तेमाल करना जरूरी माना जाता है, लेकिन पैरेंट्स के कमरे में खिड़की होना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पैरेंट्स का कमरा कुछ इस तरह डिजाइन किया जाए कि उन्हें कमरे में धूप व हवा सही तरह से मिले। अगर ऐसा नहीं होता है तो कमरे में नेगेटिविटी बढ़ती है और पैरेंट्स बार-बार बीमार पड़ते हैं।
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