जिंदगी जीने का असल मजा तब आता है जब हम अपने दिल की सुने। कुछ एडवेंचर करें, अपने सपनों को नई उड़ान दें। मेरे नजर में सपने को जीने का मतलब होता है कि हम अपनी पसंदीदा जगह जाएं। घूमें,फिरें, एक्सप्लोर करें, नई चीजों को समझने की कोशिश करें। हालांकि अक्सर या तो काम काज की उलझन में रह जाते हैं या फिर कोई ट्रेवल पार्टनर नहीं मिलता है और सोलो ट्रिप की घर से इजाजत नहीं मिलती। लेकिन इस बार मौका भी था और दस्तूर भी। मैं दिल्ली में जॉब कर रही थी इस बीच मेरे कॉलेज (चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी) से कॉन्वोकेशन लेटर आया। फिर क्या मैने तभी मन बना लिया कि इस बार तो गोल्डन टेंपल में मत्था टेकने का सपना पूरा ही हो जाएगा।
गोल्डन टेंपल में मत्था टेकते ही मिली शांति
कोनवोकेशन अगले ही दिन था इस वजह से मैं टिकट भी नहीं ले पाई और बिना टिकट के ही ट्रेन में बैठ गई।भगवान की दया से रास्ते में मुझ से किसी ने भी टिकट नहीं मांगा और मै पूरे साढ़े 5 घंटे का सफर तय कर अपने कॉलेज पहुंच गई। सारे काम निपटाने के बाद मैं अकेले ही अमृतसर के लिए निकल गई। इस बार भी मैने कोई टिकट नहीं कराई। अमृतसर पहुंचते ही मानो मेरे मन मस्तिष्क में शांति आ गई।
पहली बार सोलो ट्रिप करने के बावजूद मुझे एक पॉजिटिव एनर्जी महसूस हो रही थी। गोल्डन टेंपल मुझे अपनी तरह आकर्षित कर रहा था। मैं आखिरकार अपने सपने के करीब थी। मैं टेंपल पहुंची, वाहेगुरु का शुक्र अदा किया औऱ मत्था टेका। शाम के वक्त स्वर्ण मंदिर का नजारा देखने के लायक था। सबसे अच्छी बात ये रही की अकेले होने के बावजूद मैंने स्ट्रेंजर की मदद से खूब सारी फोटोज ली जिसे देखकर मेरी याद ताजा हो जाती है।
गोल्डन टेंपल धर्मशाला में मुफ्त में खाया भरपेट खाना
गोल्डन टेंपल आते हैं तो आप होटल की जगह पर धर्मशाला में ठहर सकते हैं। यहां की सुविधाएं लाजवाब है। रात के वक्त लड़कियों के लिए इससे सेफ जगह कुछ हो ही नहीं सकती। मैने धर्मशाला में बढ़िया स्टे किया और साथ ही, स्वादिष्ट लंगर का लुत्फ उठाया है। इस मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी मुफ्त सामुदायिक रसोई है । यहां लगभग 100,000 लोगों को खाना खिलाया जाता है। मैं अपने आप को भाग्यशाली मान रही थी की मुझे खाने के रूप में आशीर्वाद मिल गया। सुबह होते ही मैं अटारी बॉर्डर के तरफ निकल गई और यहां भी खूब मजे से एक्सप्लोर किया।
सोलो ट्रिप पर ऐसे रखा सेफ्टी का ध्यान
इन सब में मैं यह भी भूल गई कि मेरे पास तो वापस जाने के लिए भी टिकट नहीं है। ना ही मैं घर में बता कर ट्रिप पर आई हूं। एक बार फिर मैं भगवान भरोसे बस स्टैंड पहुंच गई लेकिन यहां मुझे सेफ्टी का ध्यान आ रहा था,थोड़ा डर भी लग रहा था। हिम्मत जुटाते हुए मैं पास के चौकी पर में गई और पूरी बात बताई,जिसके बाद पुलिस वालों ने मुझे अमृतसर से दिल्ली तक की कंफर्म टिकट दी औऱ मैं वापस सुरक्षित दिल्ली आ गई।
यह सोलो ट्रिप मेरे लिए एडवेंचर और थ्रिल से भरा था। इस सोलो ट्रिप से तो एक बात समझ आ गई की खुद को मौका देना जरूरी है। महिलाओं में अकेले हर काम करने की क्षमता होनी चाहिए। जिंदगी से ब्रेक लेकर आप भी ऐसे ही किसी यात्रा पर जरूर निकलें ये य़ात्रा आपको एक बढ़िया तजरु्बा दे सकती है।
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Image Credit- Aarya pandey