(Magh Purnima 2024 mistakes while offering water to moon) हिंदू धर्म में माघ महीने में आने वाली पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वहीं इस साल माघ पूर्णिमा दिनांक 24 फरवरी को है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष विधान है। इसके अलावा इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। अब ऐसे में माघ पूर्णिमा के दिन रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
चंद्रमा है मन का कारक (Moon is the factor of mind)
ज्योतिषाचार्य के हिसाब से माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देने का भी सही तरीका बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा मन का कारक है। ऐसे में माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देने से पहले विधि-विधान के साथ चांद की पूजा की जाती है। सबसे पहले चंद्रमा को अर्ध्य देना चाहिए और उसके बाद आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से मन में चल रही सभी चिंताएं दूर हो हो सकती है और कुंडली में स्थित चंद्रदोष से भी छुटकारा मिल सकता है।
माघ पूर्णिमा के दिन इस विधि से दें अर्घ्य (Offer Arghya on Magh Purnima)
माघ पूर्णिमा के दिन अगर आप चंद्रमा को अर्घ्य दे रहे हैं, तो चांदी या तांबे के लोटे में दूध, सफेद फूल, अक्षत, दही, सफेद चंदन मिलाकर अर्घ्य दें। इससे चंद्र दोष (चंद्र दोष उपाय) से छुटकारा मिल सकता है और सुख-शांति की भी प्राप्ति हो सकती है।
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जीवन में सफलता और एकाग्रता के लिए चंद्र पूजा (Chandra puja for success and concentration in life)
अगर आपको मेहनत करने के बाद भी जीवन में सफलता (सफलता प्राप्ति मंत्र) नहीं मिल रही है और क्रोध आता है, तो माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव को सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इससे लाभ हो सकता है और सफलता भी मिल सकती है।
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चंद्रमा को अर्ध्य देने के दौरान मंत्र जाप (Mantra chanting while offering Ardha to the Moon)
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।
चंद्रमा के बीज मंत्र का करें जाप
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
चंद्रमा वैदिक मंत्र (Moon Vedic Mantra)
ॐ इमं देवा असपत्न सुवध्वं महते क्षत्राय महते
ज्यैष्ठयाय महते जानराज्यायेनद्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश
एष वोमी राजा सोमोस्मांक ब्राह्मणाना राजा।।
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