हिंदू धर्म में रुद्राक्ष माला का महत्व बेहद अधिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि रुद्राक्ष माला को भगवान शिव से संबंधित माना जाता है। हम सभी ने देखा है कि शिव भगवान के गले और भुजाओं के चारों ओर रुदाक्ष की माला होती है। इसीलिए रुद्राक्ष माला को बेहद पवित्र माना जाता है। अक्सर लोग रुद्राक्ष माला से शिव का जाप करते हैं और इसे ज्यादातर साधु और संन्यासी लोग धारण करते हैं।
हालांकि, आज के समय में लोगों द्वारा पहनी जाने वाली रुद्राक्ष माला आध्यात्मिक जीवन का प्रतीक भी बन चुकी है और न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी लोग रुद्राक्ष माला को पहनते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रुद्राक्ष माला को हिंदू धर्म में खास स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसे पहन कई तरह के दुख-कष्ट दूर होते हैं। इसके अलावा भी कन्य अन्य ऐसी बातें हैं जो इस माला को खास बनाती है तो चलिए जानते हैं वह बातें जो हिंदू धर्म में रुद्राक्ष माला के महत्व को बढ़ाती हैं।
रुद्राक्ष क्या है?
यह बात शायद कम लोग जानते होंगे कि रूद्राक्ष एक पेड़ होता है। बता दें कि यह एलियोकार्पस गणित्रस पेड़ का एक बीज है और भारत के हिमालयी क्षेत्र में यह पेड़ अधिक मात्रा में पाया जाता है। क्योंकि हिमालय क्षेत्र की ऊंचाई, जलवायु और मिट्टी पेड़ के विकास में सहायता करती है। हालांकि, अभी भारत में इन पेड़ों की संख्या कम हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पेड़ का इस्तेमाल रेलवे स्लीपर बनाने के लिए किया जाता है इसी कारण से यह पेड़ अब दुलर्भ हो गए हैं।
हिमालयी क्षेत्र इसकी सबसे अच्छी गुणवत्ता विकसित करता है। इनमें से कुछ पेड़ दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों में पाए जा सकते हैं, लेकिन वे उस उच्च गुणवत्ता के नहीं होते हैं। लेकिन केवल भारत में ही नहीं रूद्राक्ष का पेड़ नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया और बर्मा में भी पाया जाता है।
रुद्राक्ष और भगवान शिव से इसका संबंध
हिंदू धर्म के अनुसार रूद्राक्ष का पौराणिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि रूद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि यह पेड़ भगवान शिव के आंसुओं से बना है जो जमीन पर गिर गए थे। इसके अलावा भगवान शिव का दूसरा नाम 'रुद्र' है। बता दें कि रूद्र का अर्थ उस व्यक्ति से है जो दर्द और दुखों को दूर करता है। इसके अलावा रूद्र दो शब्दों से बना है रूद्र का मतलब 'रोना' होता है और 'रा' का मतलब दिव्य चेतना का प्रकाश है। साथ में यह उस आनंद के आंसुओं का प्रतीक है जो दिव्यता का अनुभव करते समय महसूस होता है।
इसके अलावा रुद्राक्ष के बीज का बाहरी भूसा पूरी तरह से पकने पर नीला हो जाता है। इसके कारण इसके बीज को ब्लूबेरी का बीज भी कहा जाता है और नीला रंग भगवान शिव से संबंधित है। क्योंकि शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। उनका नाम नीलकंठ पड़ने के पीछे भी एक कहानी है कहा जाता है कि सभी मानव जाति को लाभ पहुंचाने के लिए भगवान शिव ने जहर पी लिया था और जहर ने उनके शरीर और गले को नीला कर दिया था। यही कारण है कि भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाता है।
रुद्राक्ष के लाभ
अब जब आप जान चुके हैं कि रुद्राक्ष माला का हिंदू धर्म में क्या महत्व है तो चलिए आपको रुद्राक्ष माला से जुड़े वैज्ञानिक से लेकर आध्यात्मिक और स्वास्थ्य तक के लाभों के बारे में बताते हैं। इस माला में ऐसा क्या है जो इसके केवल धारण करने से ही इतने लाभ मिलते हैं, ऐसे ही कुछ सवालों के जवाबों का लगाते हैं पता।
वैज्ञानिक महत्व
आधुनिकीकरण और भाग दौड़ भरी इस जिंदगी के कारण अक्सर लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। काम और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने के चलते अक्सर हम लोग अपने स्वास्थय को भूल जाते हैं जिसके कारण मधुमेह, हृदय रोग, अनिद्रा, अवसाद, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं होने लगती हैं। हालांकि, इन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में दवाएं अहम भूमिका निभाती है। लेकिन, कई रिसर्च से यह साबित होता है कि रुद्राक्ष माला धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ हो सकते हैं। (रुद्राक्ष माला को इस तरह करें साफ)
आध्यातमिक लाभ
रुद्राक्ष की माला (रुद्राक्ष माला पहनने के लाभ) पहनने से जीवन को संतुलित करने में मदद मिलती है। चिंता, अवसाद, अनिद्रा ये सभी हमारे मन में बहुत अधिक विचारों के उमड़ने के कारण होते हैं और माना जाता है कि रुद्राक्ष माला को धारण करने से या माला को जपने से इन सभी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिलती है और मन को शांति महसूस होती है।
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शुद्धता और अशुद्धता की पहचान
रुद्राक्ष की मदद से आप शुद्ध और अशुद्ध भोजन या पानी की पहचान कर सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर रुद्राक्ष को किसी भी भोजन या पानी के ऊपर रखा जाता है तो यह जानने में मदद कर सकता है कि यह खाने योग्य है या नहीं। खाना खाने या पानी पीने से पहले उसके ऊपर रुद्राक्ष रख दें। यदि रुद्राक्ष दक्षिणावर्त दिशा में चलती है तो इसका मतलब है कि खाना और पानी शुद्ध है। लेकिन, अगर रुद्राक्ष उल्टी दिशा में घूमता है तो आपको उस खाना या पानी में मिलावट की गई है और आपको वह खाना नहीं खाना चाहिए।
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रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष 1 मुख से लेकर 21 मुखों तक विभिन्न मुखी या मुखों में आता है। इनमें से 1 मुखी से 14 मुखी आसानी से उपलब्ध हैं। लेकिन 15 और 21 मुखी आसानी से नहीं मिलते हैं। प्रत्येक मुखी का अपना महत्व है।
रुद्राक्ष के बारे में कुछ तथ्य
- बता दें कि रूद्राक्ष माला में 108 में मनके होते हैं और 109 मनके को 'बिंदू कहा जाता है।
- माना जाता है कि रुद्राक्ष की माला में हमेशा एक बिंदु होना चाहिए अन्यथा ऊर्जा चक्रीय हो जाएगी और अगर कोई व्यक्ति बिना बिंदू की माला पहन लेता है तो उसे इससे चक्कर आ सकते हैं।
- ऐसा भी माना जाता है कि रूद्राक्ष माला मनुष्य की रक्षा करने में मदद करता है और इससे व्यक्ति को अच्छा और सुरक्षित महसूस होता है क्योंकि माला में ऐसे गुण होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।
- इसके अलावा रुद्राक्ष माला एक व्यक्ति को सचेत करने और उनकी इंद्रियों को सक्रिय करने में मदद करता है।
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