(Jaya ekadashi 2024 vrat paran vidhi time and significance) सनातन धर्म में एकादशी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। वहीं इस साल दिनांक 20 फरवरी को जया एकादशी का व्रत रखा जाएगा। जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही प्रेत योनि से भी छुटकारा मिल सकता है। इसलिए इस दिन व्रत रखना उत्तम फलदायी माना जाता है। वहीं अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं, तो व्रत का पारण करने के भई नियम बताए गए हैं। वरना एकादशी व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है। अब ऐसे में जया एकादशी के दिन किस विधि से पारण करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें जया एकादशी व्रत पारण और नियम (Jaya Ekadashi Vrat Paran and Niyam)
जया एकादशी तिथि के अगले दिन सूर्योदय के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है। पारण करने के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने है कि द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले खाना ग्रहण कर लें। द्वादशी के दिन पारण को नजरअंदाज करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होगी और इसे पाप करने के समान भी माना गया है। इसके साथ ही हरिवासर यानी कि द्वादशी तिथि का पहला दिन और चौथा घंटा हरि वासर माना जाता है। पारण के सबसे शुभ समय सुबह का होता है। इसलिए कोशिश करें कि अपना व्रत सुबह ही खोल लें। इससे विष्णु जी (विष्णु जी पूजा) की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी।
जानें जया एकादशी शुभ तिथि और समय (Jaya Ekadashi Shubh Tithi And Time 2024)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि दिनांक 19 फरवरी को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगा। साथ ही इसका समापन दिनांक 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। इसलिए इसका व्रत दिनांक 20 फरवरी को रखा जाएगा।
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भगवान विष्णु पूजन मंत्र (Chant these Mantras on Jaya Ekadashi 2024)
जया एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) की पूजा विशेष रूप से करें और इस पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
- हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
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- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
- यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।
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