एक मां से जुड़ा हर रिश्ता अनमोल होता है, लेकिन मां-बेटी के रिश्ते की बात करें तो इसका कोई जवाब नहीं होता है। दौर तेजी से बदलता जा रहा है और ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं होता है कि हमारी और हमारे माता-पिता की सोच हम से मिलें या वो हमें समझें। कोई और समझे न समझे, लेकिन मां को सब पता होता है कि उनके बच्चे के मन में क्या चल रहा है।
हालांकि आज के दौर में जहां हम रोजमर्रा के कामों में लगे रहने के कारण माता-पिता से दूरी बना लेते हैं। वहीं हम जैसे कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी मां को बेस्ट फ्रेंड बनाना पसंद करते हैं। इसके लिए जरूरी होता है सही तरह से एक-दूसरे को समझकर सपोर्ट करना।
वैसे तो बेटियां पापा की परियां होती हैं, लेकिन एक मां के लिए वे उनका बचपन होती हैं और इस रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए केवल एक मां को ही नहीं बल्कि हमें भी खुलकर उनसे बात करनी चाहिए। साथ ही समझना चाहिए कि आखिर वे हम से क्या चाहते हैं और किस तरह से हम उनकी ख़ुशी का ख्याल रखते हुए अपने सपनों को भी पूरा कर सकते हैं।
सपनों की बात आई है तो एक किस्सा जरूर बताना चाहूंगी। कुछ समय पहले मैं दिल्ली अपनी आगे की पढ़ाई के लिए आई थी। मुझे नई जगह में सेटल करवाने में मेरे माता-पिता भी साथ में आए और न केवल आए बल्कि उन्होंने मेरी क्लास के खत्म होने तक मेरा कॉलेज के बाहर लगभग 5 घंटों तक इंतजार किया। उनका इस कदर मुझ पर विश्वास और उनका मुझे सपोर्ट करना मेरे दिल को छू गया।
कॉलेज से निकलने के बाद दिल्ली की सड़कों में ट्रैफिक के कारण मैं सड़क पार भी नहीं कर पा रही थी, तो वहां मेरी मां ने मेरा हाथ थामा। हालांकि यह बहुत छोटी सी बात हो सकती है, लेकिन उस दिन मैंने जाना कि मेरी मां से मेरा रिश्ता कितना गहरा है और मेरे घरवाले मेरे कितने करीब हैं कि बिना कुछ कहें ही इतना सब समझ रहें हैं और करते जा रहे हैं।
ऐसे कई किस्से और कहानियां बहुत होंगी जिन्हें बताने के लिए शायद मेरे पास लफ्ज़ भी नहीं होंगे, लेकिन रिश्ते की बात करें तो मेरी मां के साथ मेरा रिश्ता लफ़्ज़ों से कई ज्यादा है।
- सौम्या, 23